Vermilion is also used in the worship of God. The color is deep orange or saffron. Not only are plated in worship rather vermilion vermilion T is sprinkled on the statues of the gods. T vermilion usually are plated statue of Hanuman. The offer has its own importance in worship vermilion.
This is a ritual chant - Sindurn Sobnan Rktn Sukvrdhnm Subagyn. Shubdn Kamdn Sindurn Pratigrihytam Cav. Ie - vermilion red charm, luck and happiness is supposed to increase. All is good and wishes to complete. Jesus! You adopt.
Similarly goddesses - gods chant this mantra - Sindurmrunabasn Jpakusumsnibm. Te Arpitn bhaktyä Prasid Prmeshwari Maya. Ie - morning sun and hibiscus-like atmosphere we offer you the vermilion. O mother! You are happy.
Nowadays the trend of filling over with vermilion demand - has become. Vermilion fill demand from the scientific importance. It is located in the female body is controlled electrical stimulation. Contains mercury in vermilion. Occurring in the woman's head, louse, nit (Dandruff) is also deleted.
Vermilion color healing, wisdom, and divine sacrifice symbolizes ambition. Usually, we see that the monk - the monks wear the same color. That means applying vermilion to sacrifice our lives to God and goal attainment. Mercury in vermilion which is beneficial for our body. T is offering its protection of vermilion on the statue.
Hindi version
भगवान की पूजा में सिंदूर का भी उपयोग किया जाता है। यह गहरे नारंगी या भगवा रंग का होता है। पूजा में न केवल सिंदूर चढ़ाया जाता है बल्कि देवताओं की मूर्तियों पर सिंदूर का चोला भी चढ़ाया जाता है। आमतौर पर हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। पूजा में सिंदूर को चढ़ाने का अपना महत्व है।
पूजा में इस मंत्र उच्चारण होता है- सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ अर्थात- लाल रंग का सिंदूर शोभा, सौभाग्य और सुख बढ़ाने वाला है। शुभ और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। हे देव! आप स्वीकार करें।
इसी प्रकार देवी-देवताओं के लिए यह मंत्र उच्चारित करें- सिन्दूरमरुणाभासं जपाकुसुमसनिभम्। अर्पितं ते मया भक्त्या प्रसीद परमेश्वरि॥ अर्थात- प्रात:कालीन सूर्य की आभा तथा जवाकुसुम की तरह सिंदूर आपको हम अर्पित करते हैं। हे मां! आप प्रसन्न हों।
सिंदूर का महत्व पूजा में तो है ही लेकिन इसका उपयोग महिलाओं द्वारा विवाह के पश्चात मांग भरने में भी किया जाता रहा है। आजकल सिंदूर से मांग भरने का चलन खत्म-सा हो गया है। सिंदूर से मांग भरने का वैज्ञानिक महत्व भी है। इससे महिला के शरीर में स्थित वैद्युतिक उत्तेजना नियंत्रित होती है। सिंदूर में पारा होता है। इससे महिलाओं के सिर में होने वाली, जूं, लीख (डेन्ड्रफ) भी नष्ट होती है।
सिंदूर का रंग आरोग्य, बुद्धि, त्याग और दैवी महात्वाकांक्षा का प्रतीक है। आमतौर पर भी हम देखते हैं कि साधु-संन्यासियों के वस्त्र का रंग भी ऐसा ही होता है। सिंदूर चढ़ाने का अभिप्राय यही है कि हमारा जीवन त्यागमय हो और लक्ष्य भगवान की प्राप्ति। सिंदूर में पारा होता है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी है। मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाने से उसका संरक्षण होता है।
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